एक शादी शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है





उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है

तो वो जानती है की

न तो वो उसकी हो सकती है

और न ही वो उसका हो सकता है

वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती..

फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है....

तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती?

क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती?

जी नहीं

वो समाज के नियमो को भी मानती है

और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है

मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है

कुछ खट्टा... कुछ मीठा

आपस मे बांटना चाहती है

जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है

वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है

जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से

थोडा हँसना चाहती है

खिलखिलाना चाहती हैं

वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे

सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे...

वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है

जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो

कुछ पल बिताना चाहती है

जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो,न राशन का जिक्र हो....न EMI की कोई तारीख हो

आज क्या बनाना है,

ना इसकी कोई तैयारी हो

बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है

कभी उल्टी_सीधी ,बिना सर_पैर की बाते

तो कभी छोटी सी हंसीओर कुछ पल की खुशी...

बस इतना ही तो चाहती है

आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है

जो जिम्मेदारी से मुक्त हो....❤️

क्या सेक्स कम करने से वैजाइना टाइट हो जाती है?

अधिकतर पुरुषों और महिलाओं दोनों का यह मानना है कि अगर ज्यादा दिन तक सेक्स नहीं किया जाये तो महिलाओं की वैजाइना पहले की तरह टाइट हो जाती है। कई लोग इस बात को सही मानते हैं वहीँ कई लोगों का मानना है की यह बात गलत है।




इसे समझने से पहले आपको वैजाइना के बारे में कुछ अन्य बाते जानना ज़रूरी है ;

  • योनि की मांसपेशियां प्राकृतिक रूप से ही बहुत लचीली होती हैं और इनमें कितना भी खिंचाव हो जाए फिर भी इनके लचीलेपन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
  • एक बार हायमेन के टूटने के बाद वैजाइना सिकुड़ जाती है फिर सेक्स के दौरान उत्तेजित होने पर उसमें फैलाव होता है लेकिन सेक्स के ख़त्म होते ही वह फिर से अपने पुरानी अवस्था में आ जाती है।
  • सेक्सुअल हेल्थ फिजिशियन एंड मेडिकल सेक्स थेरेपिस्ट डॉ. विजयसारथी रामनाथन के अनुसार, लगातार लगभग दो सालों तक नियमित सेक्स करने से वैजाइना थोड़ी ढ़ीली पड़ जाती है।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ..

बहुत से लोग यह गलत धारणा रखते हैं कि जो महिलाएं कम सेक्स करती हैं उनकी योनि 'टाइट' होती है, और जो महिलाएं अधिक सेक्स करती हैं उनकी योनि 'ढीली' होती है 😂

लेकिन यह पूरी तरह से गलत धारणा है…!

औरतो को सब संभालना आता है पर..

औरतो को सब संभालना आता है पर ये जिस्म को नही संभाल सकती है जैसे बड़े बूब्स कितना भी अच्छा ब्लाउस पहन लो कही न कही से दिखने ही लगते है लचकदार कमर जो बलखा ही जाती है गोल और मतकते नितम्भ जो चाल के साथ मर्दों का दिल घायल कर दे और फिर मर्द होता है ना औरत का सब कुछ संभालने के लिए 😜



'डर ' - कुछ जज़्बात दिल से 



 डर एक नकारात्मक भावना है। यह संभावित खतरे के लिए एक सहज वृत्ति की प्रतिक्रिया की भावना है। हर व्यक्ति इसका अनुभव करता है और अलग अलग तरीके से करता है। अप्रिय होने की भावना से या खतरे की भावना से। डर हर प्राणी में उपस्थित होता है। यह कई बार उसके अस्तित्व की रक्षा के लिए भी आवश्यक होता है। डर जीवन में घटित होने वाली घटनाओं से सम्बंधित होता है। हमारे जीवन में बहुत सारे डर शामिल होते हैं जिनमें प्रमुख हैं ; असफलता का भय, किसी घटना का भय, अस्तित्व बनाये रखने का भय, कुछ खो देने का डर, बहिष्कार का डर, रिश्तों से जुडा डर, अवचेतन मन में उत्पन्न डर एवं अनिश्चितता का डर। 

हममें से हर कोई इनसे कभी ना कभी रूबरू होता है। हम इनमें से तक़रीबन हर डर को जीते हैं ; पर जाने क्यों दूसरों  के डर को समझ नहीं पाते। हम दूसरों के डर से अपरिचित ही रह जाते हैं। हम दूसरों की भावनाएँ समझने में बड़े कच्चे हैं। जिस भावना को हम खुद जी लेते हैं, उसे दूसरों के जीवन में देख, पहचान या समझ नहीं पाते। यदि किसी डर से जूझते व्यक्ति का हाथ थामकर देखो। 

अद्भुत बात यह है कि हम सिर्फ दो तरह के डर के साथ पैदा होते हैं; एक तेज आवाज का डर, दूसरा नीचे गिरने का डर। बाकी जितने भी डर को जीते हैं, वह सब हमारे उत्पन्न किये हुए हैं। इन सबको हमने खुद गले लगाया हुआ है।

हम इससे जितना भयभीत होते हैं, यह भी हम पर हावी होता जाता है। और तब तक हमारा पीछा करता है जब तक हम डटकर इसके समक्ष खड़े नहीं हो जाते। यह उसे अपने जीवन में प्रवेश देते हैं और उसको रोक लेते हैं। यह हम ही हैं जो उसका अस्तित्व बनाये रखते हैं। उसका होना क्षणिक होगा या दीर्घकालिक, यह हमपर ही निर्भर करता है। उसकी उम्र उतनी ही होती है जितना हम उसे दीर्घायु बनाते हैं। आपको याद भी है.. आपका सबसे पुराना डर कौनसा है? या जिसका सामना आपने कर लिया हो, फिर भी वह आपके जीवन में मौजूद हो?? 
डर को खुद से दूर करने के लिए आपको कुछ नहीं करना, बस उसका सामना करना है। 

अपनी सारी सकारात्मकता बटोरकर एवं डटकर उसके सामने खड़े हो जाइये.. वह तुरंत रफूचक्कर हो जाएगा। अपनी कल्पना को  सकारात्मक उड़ान भरने दीजिये। नये नये रचनात्मक कार्य कीजिए। आत्मविश्वास उसका धुर विरोधी है। दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है। उन्हें आमने सामने कर दीजिए..फिर देखिएगा ; कैसे नौ दो ग्यारह होता है यह भीरु डर। यह हमें सिर्फ तब तक आँख दिखाता है, जब तक हम उसे अहमियत देते हैं। हम मात्र अपने ही डर को नहीं दूसरों के डर को भी समझ सकें और दूर करने में सहायक हों। जिस क्षण पूरी हिम्मत से उसका सामना कर लेंगे, वह अलविदा हो जाएगा। डर के आगे मात्र जीत नहीं, ढेरों खुशियाँ, सपने, उम्मीदें और सफलता छुपी होती है। 

What are some things nobody tells you about life?

  • Nobody told me how important it is to take a break in life and to go with the flow.


  • Nobody told me how to handle myself when I fall.

  • Nobody told me how important the environment around me is.

  • Nobody told me how toxic someone can become just to get their work done.

  • Nobody told me how important my inner self is and how to connect with it.

  • Nobody told me how wonderful enjoying my own company can be.

  • Nobody told me how to take your decision independently.

  • Nobody told me how important self-control and discipline is.

  • Nobody told me how essential is my health.

  • Nobody told me how important novels are coz they are just a real reflection of the world.

  • Nobody told me how to accept both traits negative as well as positive.

  • Nobody told me that I can make my career in the dance field.

  • Nobody told me how to handle myself after an emotional breakdown.

  • Nobody told me how just a single song can change my mood.

  • Nobody told me how powerful this platform can be. Because I can easily reflect myself from my writings.

  • Nobody told me that it's better to smile than overreacting in a particular situation.



हर कोई आपकी भावनाओं के साथ खेल रहा है- जिसे रोकने की जरूरत है?

 कुछ दिनों से Amazon Pay का ऐड चल रहा है जो इस प्रकार है..

She: Lunchbox, at home?

He: No, not for me. It is for guard uncle.

She: Ohh! Nice. Please tell me if he needs any help.

He: Gaurd uncle is really missing his family.

She: Recharge his mobile by using Amazon Pay.

He: Ohh! Yes. I can use Amazon for recharge.



लगभग हर विज्ञापन हमारी भावनाओं के साथ क्यों खेल रहा है?

यह पूरी तरह से गलत है और इसे रोकना होगा।

मैं समझ सकता हूं कि वे एक अलग तरह की मार्केटिंग रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं लेकिन हमारी भावनाओं पर चोट क्यों करें?

निर्माता अपने उत्पाद को बेचने के लिए हमारे राष्ट्र, धर्म या भावनाओं पर चोट कर रहे हैं।

उपर्युक्त केवल एक उदाहरण है।

अपने टेलीविज़न पर स्विच करें और आपको इस तरह के सैकड़ों विज्ञापन मिलेंगे।

>>: बहुत से लोग कह रहे हैं कि यह एक सामान्य विपणन रणनीति है और इसे रोकने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन मैंने किसी को अपनी भावनाओं पर चोट करने की अनुमति नहीं दी है।

>>: Savlon-एक विज्ञापन के साथ आया, जिसमें वे हमें शारीरिक रूप से अक्षम महिला का वीडियो दिखाकर अपने हैंडवाश का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उसके पास कोई हाथ नहीं है और वह काम करने के लिए अपने पैरों का उपयोग कर रही है और कुछ भी खाने से पहले वह साइलोन हैंडवाश द्वारा अपने हाथ (पैर) धो रही है।



फिर भी, कुछ लोग समझ नहीं रहे हैं कि मैंने यह जवाब क्यों लिखा है। उद्देश्य सरल है, मेरा मतलब है, यदि आप किसी भी उत्पाद को बेचना चाहते हैं तो हमें बताएं कि यह फायदे हैं और हमें इसका उपयोग क्यों करना चाहिए।

दरअसल जितना दिखाया जाता है उतना असल जिंदगी में होता नहीं इसी बात का बड़ा दुःख होता है.

आज तुमने किस बात पर गुस्सा किया?

कुछ लोग बहुत मेहनती होते हैं और अपने जीवन में बहुत संघर्ष करते हैं, लेकिन ऐसे लोग हैं जो एक दिन में लोकप्रिय होने के अलावा कुछ नहीं करते हैं।

उन्हीं में से कुछ नाम और चेहरा मै बताने जा रहा हूँ

1: गरिमा चौरसिया

यहाँ गरिमा चौरसिया नाम की लड़की है, जिसने केवल lip-synced and danced किया, जो एमिअ बंटाई द्वारा गाए गए "Machayenge" (बोहुत हार्ड बोहुत हार्ड) गीत पर एक नृत्य की तरह नहीं दिखता था। उस 30 सेकंड के वीडियो के कारण उसे एक दिन में लोकप्रियता मिली। और इंस्टाग्राम पर सत्यापित हो गया।




2:प्रिया प्रकाश

यहां प्रिया प्रकाश वरियर नाम की दूसरी लड़की है जो एक दिन में इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलोअर्स हासिल करने वाली दुनिया की तीसरी व्यक्ति बन गई। वह वही लड़की है जिसने केवल 15 सेकेंड के वीडियो में फिल्म में काम किया था। वह वीडियो वायरल हो गया और वह एक दिन में इतनी लोकप्रिय हो गई कि उसे इंस्टाग्राम पर 3M + फॉलोअर्स मिले। क्रिस्टियानो रोनाल्डो और किम कार्दशियन के बाद वह एक दिन में सबसे अधिक अनुयायी हासिल करने वाले तीसरे व्यक्ति हैं।



और ये ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने बहुत मेहनत की और संघर्ष किया, वे प्रसिद्ध भी हुए लेकिन लगभग 10 वर्षों तक संघर्ष किया। यहां वे व्यक्ति हैं जिनके बारे में मैं बात कर रहा हूं:

1: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी। वर्तमान समय में हर कोई इस व्यक्ति को जानता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसने मुन्ना भाई एमबीबीएस में एक छोटा सा 3 मिनट का सीन किया था? उस समय किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि भारतीय लोगों के अनुसार, प्रतिभा कोई मायने नहीं रखती है।







2. दिव्येंदु शर्मा,
दिव्येंदु शर्मा, जिन्हें मिर्जापुर में मुन्ना (भैया) त्रिपाठी के नाम से जाना जाता है। अब जरा सोचिए कि क्या भूमिका किसी अन्य तथाकथित बॉलीवुड अभिनेता द्वारा निभाई गई थी, वर्तमान समय में आप उसे नोटिस करेंगे या नहीं? यह हमारी संस्कृति कैसी है, लोग प्रतिभा के लिए नहीं, देखने के लिए जाते हैं।







कहानी का नैतिक- आपका काम ही, आपकी पहचान बतायेगी.


आदिवासी व्यथा

 


गोबर से लीपा आंगन ,
मिटटी की चिकनी दीवार ,
दीवारों पर चित्रकारी.
पत्थर का कुआँ.
कुँए का ठंडा पानी ,
बरगद के नीचे चौपाल
उधम मचाते छौने,
वातावरण में महुआ की गंध
मांदर की थाप
निश्छल मुस्कराहट
एक सुदूर आदिवासी गांव …
—-
एक फैक्ट्री का शिलान्यास,
या एक डैम का
या एक खदान का.
जमीन के बदले पैसे,
पैसे से खरीदी जाती शराब,
जब तक फैक्ट्री बनी
या डैम बना या
खदान तैयार हुई,
शराब बहती रही,
गांव की गलियों में,
जवानी घुलती रही
बोतल के अंदर.
——
बाहर से आये लोग,
फैक्ट्री या डैम या खदान
हो गयी तैयार,
पैसे खत्म हो गए इधर,
जमीन भी खत्म हो गयी.
—-
फैक्ट्री से निकलता है
धुआं, काला धुआं,
गांव के लोगों के भविष्य की तरह
काला, अँधेरा घुप्प.
अब कुँए का पानी,
पीने के लायक नहीं,
दीवारों पर चित्रकारी नहीं,
नारे लिखे है, नक्सली नारे .
कुछ नेतानुमा लोग
भडकाते हैं उनको.
कंपनी से पाएंगे कूछ माल,
छोड़ जायेंगे फिर उन्हें
घुटने के लिए,
घुट घुट के मरने के लिए.
अब मांदर चुपचाप है,
दीवार पे टंगा, खूंटी के सहारे
करता है चीत्कार,
अपने मालिक की असामयिक मौत पर.
——–
यह गांव है बस्तर में,
छत्तीसगढ़ में या झारखण्ड में,
क्या फर्क पड़ता है?
हर जगह एक सी कथा है,
आदिवासियों की एक सी व्यथा है.

एक शादी शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है

उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है और न ही वो उसका हो सकता है वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी...